Tuesday, September 11, 2012

दिल्ली मेरी जान

बिखरती भी है , सवरती भी है

बनती भी है , बिगड़ती भी है

हर पल एक नया मंज़र देखती भी है ,

कुछ अधुरी भी है , कुछ पूरी भी है ,

ना थकी है कभी ,

ना रुकी है कभी

हर दर्द को सहा है तुने ,

हर ख़ुशी को महसूस किया है तुने ,

तु सबकी है जान

ये है दिल्ली मेरी जान...